साइबर सिक्योरिटी में AI की भूमिका 

साइबर सिक्योरिटी में AI की भूमिका 

आज के डिजिटल युग में खतरे भी डिजिटल हैं जो हमें हर तरह से नुकसान पहुचा रहे हैं फिर चाहे वह आर्थिक हों, मानसिक हों या शारीरिक। ऐसे में हम सभी के लिए साइबर सिक्योरिटी में AI की क्या भूमिका है यह समझना और उसके उपायों को अपनाना महत्वपूर्ण हो गया है। 

 

फाइनेंसियल फ्रॉड, सोशल मीडिया ट्रोलिंग, फ़र्ज़ी इमेल्स, पर्सनल डाटा का चोरी होना, और कर्ज देने वाली एप्प द्वारा ब्लैकमेलिंग जैसी कई खबरें हम रोज़ पढ़ते और सुनते हैं पर क्या आपने यह सोचा है की इनमें कहीं न कहीं हमारी साइबर सिक्योरिटी के प्रति अज्ञानता भी जिम्मेदार हो सकती है। अगर हमें इन खतरों से खुद को बचाना है तो हमें साइबर सिक्योरिटी को न सिर्फ समझना होगा बल्कि इसके द्वारा बताये गए उपायों को अमल में भी लाना होगा। 

 

यह सही है की साइबर सिक्योरिटी में AI हमारी मदद कर सकता है, आज आम आदमी से लेकर व्यावसायिक संगठनों को साइबर खतरों से बचाने के लिए AI की हेल्प से नए और इनोवेटिव तरीके डेवेलप जा रहे हैं तो चलिए अब समझते हैं की कैसे अपनी साइबर सिक्योरिटी में AI को एक टूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। 

 

साइबर सिक्योरिटी में AI कैसे काम करता है?

साइबर सिक्योरिटी में AI बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करने और दुर्भावनापूर्ण गतिविधि का संकेत देने वाले पैटर्न की पहचान करने के लिए मशीन लर्निंग (एमएल) एल्गोरिदम का उपयोग करता है। इसका उपयोग नए और अज्ञात खतरों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है जिसमें पारंपरिक सिक्योरिटी उपकरण चूक कर सकते हैं।

 

AI का उपयोग खतरे की तलाश और घटना की प्रतिक्रिया जैसे कार्यों को स्वचालित करने के लिए भी किया जा सकता है। इससे सिक्योरिटी विश्लेषकों को नई सिक्योरिटी रणनीतियों को डेवेलप करने और अधिक जटिल कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का समय मिल सकता है।

 

साइबर सिक्योरिटी में AI, कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क और डेटा की सिक्योरिटी बढ़ाने के लिए AI एल्गोरिदम और मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग करता है। यह तकनीक पारंपरिक सिक्योरिटी उपायों से कहीं ज्यादा बेहतर है और  साइबर खतरों के लगातार बढ़ते परिदृश्य के लिए सक्रिय, वास्तविक समय पर समाधान पेश करती है।


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साइबर सिक्योरिटी में AI कैसे बड़ी भूमिका निभाएगा?

साइबर सिक्योरिटी में AI के कुछ विशिष्ट तरीके एवं उपयोग:

 

ख़तरे का पता लगाना: संदिग्ध पैटर्न के लिए नेटवर्क ट्रैफ़िक, ईमेल और अन्य डेटा का विश्लेषण करके नए और अज्ञात खतरों का पता लगाने के लिए AI का उपयोग किया जा सकता है। AI सिस्टम नेटवर्क ट्रैफ़िक की निगरानी कर सकते हैं, असामान्य पैटर्न की पहचान कर सकते हैं और सिक्योरिटी टीमों को संभावित खतरों के प्रति सचेत कर सकते हैं। यह सक्रिय दृष्टिकोण संगठनों को तेजी से प्रतिक्रिया देने, क्षति को कम करने और डेटा उल्लंघनों को रोकने की सुविधा देता है।

 

घटना की प्रतिक्रिया: AI का उपयोग घटनाओं की पहचान करने और प्राथमिकता देने, अलर्ट करने और सही  उपाय करने जैसे कार्यों को स्वचालित करने के लिए किया जा सकता है। इससे सिक्योरिटी टीमों को घटनाओं पर अधिक तेज़ी से और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने में मदद मिल सकती है।

 

सिक्योरिटी विश्लेषण: AI का उपयोग रुझानों और पैटर्न की पहचान करने के लिए सिक्योरिटी लॉग और अन्य डेटा का विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है। इस जानकारी का उपयोग नई सिक्योरिटी रणनीतियाँ डेवेलप करने और मौजूदा रणनीतियों को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।

 

उपयोगकर्ता व्यवहार विश्लेषण: संदिग्ध गतिविधि के लिए उपयोगकर्ता के व्यवहार की निगरानी के लिए AI का उपयोग किया जा सकता है। इससे अंदरूनी खतरों और अन्य दुर्भावनापूर्ण तत्वों की पहचान करने में मदद मिल सकती है।

 

भविष्य बतानेवाला विश्लेषक: AI ऐतिहासिक डेटा का विश्लेषण करके और पैटर्न की पहचान करके संभावित खतरों की भविष्यवाणी कर सकता है। यह पूर्वानुमानित क्षमता संगठनों को साइबर अपराधियों से एक कदम आगे रहने और अपने सिस्टम और डेटा की सिक्योरिटी के लिए पूर्वव्यापी उपाय करने में सक्षम बनाती है।

 

स्वचालित घटना प्रतिक्रिया: AI-संचालित साइबर सिक्योरिटी समाधान घटना प्रतिक्रिया प्रक्रियाओं को स्वचालित कर सकते हैं। जब किसी खतरे का पता चलता है, तो AI खतरे की गंभीरता का आकलन कर सकता है और तत्काल कार्रवाई कर सकता है, जैसे प्रभावित सिस्टम को अलग करना या दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को रोकना। इससे प्रतिक्रिया समय कम हो जाता है और मानवीय त्रुटि का जोखिम कम हो जाता है।

साइबर सिक्योरिटी में AI को कैसे उपयोग किया जा रहा है 

डार्कट्रेस (Darktrace): डार्कट्रेस का AI प्लेटफॉर्म नेटवर्क और एप्लिकेशन में असामान्य गतिविधि का पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग होता है। इससे उन खतरों की पहचान करने में मदद मिल सकती है जो पारंपरिक सिक्योरिटी उपकरण चूक सकते हैं, जैसे अंदरूनी खतरे और ज़ीरो-डे-अटैक।

 

सेंटिनलवन (SentinelOne): सेंटिनलवन का AI प्लेटफॉर्म वास्तविक समय में मैलवेयर हमलों का पता लगाने और रोकने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करता है। यह मैलवेयर को किसी संगठन के नेटवर्क में फैलने से रोकने में मदद कर सकता है।

 

क्राउडस्ट्राइक (CrowdStrike): क्राउडस्ट्राइक का AI प्लेटफॉर्म कई तरह के आक्रामक हमलावरों की पहचान करने और उन्हें ट्रैक करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करता है। इससे सिक्योरिटी टीमों को हमलों का अधिक तेज़ी से और प्रभावी ढंग से जवाब देने में मदद मिल सकती है।

 

पालो अल्टो नेटवर्क (Palo Alto Networks): पालो ऑल्टो नेटवर्क्स का AI प्लेटफॉर्म किसी भी नेटवर्क पर फ़र्ज़ी  ट्रैफ़िक का पता लगाने और उसे रोकने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करता है। इससे हमलावरों को सबसे पहले किसी संगठन के नेटवर्क तक पहुंचने से रोका जा सकता है।

 

क्लाउड फ्लेयर (Cloudflare): Cloudflare का AI प्लेटफ़ॉर्म DDoS हमलों का पता लगाने और उन्हें कम करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करता है। इससे संगठनों को denial-of-service attacks जैसे हमलों से बचाने में मदद मिल सकती है, जो उनकी वेबसाइटों और सेवाओं को बाधित कर सकते हैं।

 

6 पॉइंट्स: आपके लिए साइबर सिक्योरिटी को समझना क्यों ज़रूरी है?

 

सरकार के अनुसार, भारत में 2022 में 13.9 लाख से अधिक साइबर सुरक्षा घटनाएं दर्ज की गईं थी जो की 2021 में रिपोर्ट की गई 14.02 लाख घटनाओं से कम हैं इसके पीछे सरकार द्वारा साइबर सिक्योरिटी में AI का उपयोग करना भी एक कारण है। 

 

भारत में रिपोर्ट की जाने वाली सबसे आम प्रकार की साइबर सुरक्षा घटनाएं जैसे: फ़िशिंग हमले, मैलवेयर हमले और रैंसमवेयर हमले शामिल हैं।

 

भारतीय बैंकिंग, वित्तीय और बीमा (बीएफएसआई) जैसे क्षेत्रों को साइबर हमले  के लिए सबसे ज्यादा टारगेट किया जाता है, क्योंकि यहीं सबसे ज्यादा पैसों का लेनदेन होता है। 

 

भारतीय साइबर सुरक्षा बाजार के 2027 तक बढ़कर 10.7 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।

 

900 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ भारत दुनिया में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की दूसरी सबसे बड़ी संख्या वाला देश है। यही बड़ी और बढ़ती इंटरनेट आबादी भारत को साइबर हमलों का प्रमुख लक्ष्य बनाती है।

 

साइबर सिक्योरिटी आज इतना बड़ा मुद्दा बन चुका है की भारत सरकार द्वारा व्यक्तियों और संगठनों को अपने उपकरणों से मैलवेयर और अन्य साइबर खतरों को साफ करने में मदद करने के लिए साइबर स्वच्छता केंद्र (सीएसके) लॉन्च किया जा चुका है।

 


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भारत सरकार साइबर सिक्योरिटी में AI को कैसे लागू कर रही है

भारत सरकार कई तरीकों से साइबर सिक्योरिटी में AI पर काम कर रही है, जिनमें यह कुछ मुख्य उदाहरण शामिल हैं:

 

अनुसंधान एवं विकास में निवेश: सरकार ने नए AI-आधारित साइबर सिक्योरिटी समाधान डेवेलप करने के लिए कई अनुसंधान केंद्र स्थापित किये हैं और पहल भी की हैं। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय साइबर सिक्योरिटी अनुसंधान और नवाचार केंद्र (एनसीएसआरसी) साइबर हमलों का पता लगाने और उनका जवाब देने के लिए AI-संचालित उपकरण डेवेलप कर रहा है।

 

उद्योग के साथ साझेदारी: सरकार AI-आधारित साइबर सिक्योरिटी समाधान डेवेलप करने और तैनात करने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ काम कर रही है। उदाहरण के लिए, सरकार ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए एक नई AI-संचालित खतरे का पता लगाने वाली प्रणाली डेवेलप करने के लिए आईबीएम के साथ साझेदारी की है।

 

जागरूकता और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना: सरकार AI-आधारित साइबर सिक्योरिटी समाधानों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सरकारी अधिकारियों और नागरिकों को उनका उपयोग करने के तरीके के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए काम कर रही है। उदाहरण के लिए, सरकार ने AI-आधारित साइबर सिक्योरिटी पर कई जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं।

यहां कुछ विशिष्ट केस स्टडी दी गयी हैं जो भारत सरकार द्वारा साइबर सिक्योरिटी में AI के उपयोगों को प्रमाणित करती हैं:

 

महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए AI-संचालित खतरे का पता लगाने वाली प्रणाली: भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए AI-संचालित खतरे का पता लगाने वाली प्रणाली डेवेलप करने के लिए आईबीएम के साथ साझेदारी की है। सिस्टम नेटवर्क ट्रैफ़िक का विश्लेषण करने और उन विसंगतियों की पहचान करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करता है जो साइबर हमले का संकेत दे सकती हैं।

 

सरकारी कर्मचारियों के लिए AI-संचालित फ़िशिंग पहचान प्रणाली: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सरकारी कर्मचारियों के लिए AI-संचालित फ़िशिंग पहचान प्रणाली डेवेलप की है। सिस्टम फ़िशिंग ईमेल की पहचान करने और कर्मचारियों को दुर्भावनापूर्ण लिंक पर क्लिक करने से पहले चेतावनी देने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करता है।

 

AI-संचालित साइबर अपराध जांच प्लेटफार्म: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने AI-संचालित साइबर अपराध जांच प्लेटफार्म डेवेलप किया है। प्लेटफ़ॉर्म साइबर अपराध डेटा का विश्लेषण करने और पैटर्न और रुझानों की पहचान करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करता है। इस जानकारी का उपयोग साइबर अपराधों की अधिक प्रभावी ढंग से जांच करने के लिए किया जा रहा है।

 

पावर ग्रिड के लिए AI-संचालित घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली: पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (पीजीसीआईएल) अपने पावर ग्रिड के लिए घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली डेवेलप करने के लिए AI का उपयोग कर रहा है। सिस्टम नेटवर्क ट्रैफ़िक का विश्लेषण करने और उन विसंगतियों की पहचान करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करेगा जो साइबर हमले का संकेत दे सकती हैं। यदि सिस्टम किसी विसंगति का पता लगाता है, तो यह स्वचालित रूप से अलार्म बजाएगा और खतरे को कम करने के लिए कदम उठाएगा।

 

सरकार नए साइबर सिक्योरिटी मानकों और विनियमों को डेवेलप करने के लिए AI का भी उपयोग कर रही है। उदाहरण के लिए, CERT-In ने हाल ही में संगठनों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं कि वे अपनी साइबर सिक्योरिटी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए AI का उपयोग कैसे करें।

 

कुल मिलाकर, भारत सरकार AI-आधारित साइबर सिक्योरिटी समाधानों में महत्वपूर्ण निवेश कर रही है। ये समाधान देश की साइबर सिक्योरिटी स्थिति को बेहतर बनाने और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और नागरिकों को साइबर हमलों से बचाने में मदद कर रहे हैं।

साइबर सिक्योरिटी में AI का भविष्य

साइबर सिक्योरिटी क्षेत्र में AI अभी भी अपेक्षाकृत नई तकनीक है, लेकिन यह तेजी से डेवेलप हो रही है। जैसे-जैसे AI एल्गोरिदम अधिक परिष्कृत और शक्तिशाली होते जा रहे हैं, हम आने वाले वर्षों में और भी अधिक नवीन और प्रभावी साइबर सिक्योरिटी समाधान देखने की उम्मीद कर सकते हैं।

 

यहां कुछ विशिष्ट रुझान हैं जिन्हें हम भविष्य में AI साइबर सिक्योरिटी में देखने की उम्मीद कर सकते हैं:

 

AI-संचालित खतरे का शिकार: AI का उपयोग खतरे की तलाश की प्रक्रिया को स्वचालित करने के लिए किया जाएगा, जो नेटवर्क और सिस्टम पर दुर्भावनापूर्ण गतिविधि को सक्रिय रूप से खोजने की प्रक्रिया है। यह सिक्योरिटी विश्लेषकों को अधिक जटिल कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मुक्त कर देगा।

 

AI-संचालित घटना प्रतिक्रिया: AI का उपयोग अलर्ट को ट्राइएज करने, उपचारात्मक उपायों को तैनात करने और किसी हमले के बाद सिस्टम को बहाल करने जैसे कार्यों को स्वचालित करने के लिए किया जाएगा। इससे सिक्योरिटी टीमों को घटनाओं पर अधिक तेज़ी से और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी।

 

AI-संचालित सिक्योरिटी विश्लेषण: उभरते खतरों का संकेत देने वाले रुझानों और पैटर्न की पहचान करने के लिए सिक्योरिटी डेटा का विश्लेषण करने के लिए AI का उपयोग किया जाएगा। इस जानकारी का उपयोग नई सिक्योरिटी रणनीतियाँ डेवेलप करने और मौजूदा रणनीतियों को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।

 

AI-संचालित उपयोगकर्ता व्यवहार विश्लेषण: संदिग्ध गतिविधि के लिए उपयोगकर्ता के व्यवहार पर नजर रखने के लिए AI का उपयोग किया जाएगा। इससे अंदरूनी खतरों और अन्य दुर्भावनापूर्ण लोगों की पहचान करने में मदद मिल सकती है


निष्कर्ष

साइबर सिक्योरिटी में AI सिर्फ एक प्रचलित शब्द नहीं है; यह एक आवश्यकता है. खतरों का पता लगाने, कमजोरियों की भविष्यवाणी करने और प्रतिक्रियाओं को स्वचालित करने की इसकी क्षमता साइबर अपराधियों के खिलाफ चल रही लड़ाई में खेल को बदल रही है। क्राउडस्ट्राइक, डार्कट्रेस और अगारी जैसे स्टार्टअप के नेतृत्व में, हम AI-संचालित साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में और भी अधिक नवीन समाधान उभरने की उम्मीद कर सकते हैं। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का विकास जारी है, AI को अपनाना न केवल एक विकल्प है, बल्कि अपनी डिजिटल संपत्तियों की रक्षा करने और साइबर खतरों की लगातार डेवेलप हो रही दुनिया में बढ़त बनाए रखने के इच्छुक संगठनों के लिए एक रणनीतिक अनिवार्यता है।

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